मंगल दोष क्या है? जानिये इसके कारण और निवारण उपाय
कुंडली में मंगल दोष या मांगलिक दोष के होने से जातक को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। मंगल दोष के चलते जातक को विवाह से संबन्धित बहुत सारी समस्याओ का सामना भी करना पड़ता है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएँगे की मंगल दोष क्या है, यह कुंडली मे केसे बनता है, इसके लक्षण, नुकसान और उपाय क्या है।
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मंगल दोष क्या है?
ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह का काफी महत्व है। मंगल ग्रह किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली मे स्थित 9 ग्रहो मे से एक गृह होता है और मंगल ग्रह को ग्रहों का सेनापति कहा गया है, इसे उग्र ग्रह माना गया है। यह भी अन्य ग्रहो की तरह 12 भावो मे से किसी एक भाव मे स्थित होता है। बारह भावों में से कुछ भाव ऐसे हैं जहां मंगल की स्थिति को मंगल दोष के रूप में लिया जाता है उसे ही मंगल दोष कहते है।
यदि मंगल ग्रह लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम या द्वादश भाव मे स्थित हो तो, व्यक्ति की जन्मकुंडली मे मंगल दोष या मंगलिक दोष की स्थिति बनती है। यह स्थिति वैवाहिक जीवन के लिए उचित नहीं मानी जाती है। कई बार ज्योतिषी मंगल दोष को तीन लग्न (सूर्य, चन्द्र और शुक्र) से भी देखते है।
कुंडली में कैसे बनता है मंगल दोष ?
ज्योतिष शास्त्र की माने तो कुंडली मे मंगल गृह के किसी निश्चित भाव मे होने पर ही मंगल दोष दिखाई देता है। मंगल ग्रह जब किसी व्यक्ति की कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित होता है, तो मंगल दोष या मांगलिक दोष का निर्माण करता है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली मे मंगल दोष का होना उस व्यक्ति के दांपत्य जीवन के लिए अशुभ मानी जाती है, हालांकि मंगल गृह पर किसी शुभ गृह की छाया पड़ने पर मंगल दोष का असर कम हो जाता है।
मंगल दोष के प्रकार
कुंडली मे मंगल गृह की स्थिति के अनुसार मुख्यतः 3 प्रकार की मांगलिक कुंडली बनती है,
1. सामान्य मांगलिक कुंडली :
कुंडली में मंगल के लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में से किसी भी भाव मे स्थित होने पर सामान्य मांगलिक कुंडली का निर्माण होता है।
2. द्विबल मांगलिक कुंडली :
किसी जातक की जन्मकुंडली में मंगल का लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में होने के साथ-साथ नीच राशि कर्क का भी कुंडली मे होना कुंडली में मंगल का दुष्प्रभाव बढ़ा देता है। इसके अलावा 1, 4, 7, 8 और 12वें भावों में से किसी भी भाव में मंगल के अलावा सूर्य, शनि, राहु या केतु में से कोई भी गृह स्थित हो तो ऐसी अवस्था मे द्विबल मांगलिक कुंडली का निर्माण होता है।
3. त्रिबल मांगलिक कुंडली :
किसी जातक की जन्मकुंडली में मंगल का लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में होने के साथ-साथ नीच राशि कर्क का भी कुंडली मे होना और साथ ही इन भावों में शनि, राहु, केतु भी उपस्थित हो तो, ये स्थिति मंगल दोष का प्रभाव तीन गुना बढ़ा देती है। इस तरह की कुंडली को ही ज्योतिष में त्रिबल मांगलिक कुंडली कहा जाता है।
मंगल दोष के लक्षण क्या है
- जिस किसी भी जातक या व्यक्ति की कुंडली मे मंगल दोष होता है, वह अत्यधिक आक्रामक, क्रोधी और अभिमानी होता है।
- चतुर्थ भाव मे मंगल के होने से जातक सुख से वंचित रहता है और उसे पारिवारिक जीवन मे बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
- विवाह के अलावा मंगल दोष होने से व्यक्ति कर्ज के बोझ में भी डूबा रहता है या फिर जमीन-जायदाद से जुड़ी समस्याएं लगी रहती है।
- यदि किसी की कुंडली के सातवें भाव में मंगल दोष हो तो ऐसे में पति-पत्नी के बीच हमेशा मनमुटाव होता रहता है. कभी-कभी लड़ाई-झगड़े इतने बढ़ जाते हैं कि यह तनाव, टकराव और तलाक का कारण भी बन जाती है।
- जातक की कुंडली मे अष्टम भाव मे मंगल गृह के होने से जातक दांपत्य सुख से वंचित रहता है।
- जातक के बारहवे भाव मे मांगलिक दोष के होने के कारण जातक को वैवाहिक जीवन सी संबन्धित कई स्वास्थ्य संबन्धित समस्याओ का सामना करना पड़ता है।
- मंगल दोष होने से व्यक्ति का स्वभाव गुस्सैल, क्रोधिक और अहंकारी हो जाता है।
- ससुराल पक्ष से रिश्ते खराब होने या बिगड़ने की वजह भी मंगल दोष होता है।
मांगलिक दोष से होने वाले नुकसान
- कुंडली के द्वादश भाव में मंगल दोष होने से वैवाहिक जीवन के साथ ही शारीरिक क्षमताओं में कमी आ जाती है।
- मंगल दोष क्षीण आयु, रोग द्वेष और कलह-क्लेश को जन्म देता है.
- कुंडली में मंगल दोष के होने के कारण विवाह में कई तरह की परेशानियां आती है जैसे, विवाह में देरी होना, किसी कारण रिश्ता टूट जाना या विवाह के बाद जीवनसाथी के साथ अच्छा तालमेल न बैठना।
- मंगल दोष के कारण व्यापार मे घाटा होने की संभावना बनी रहती है।
- मंगल दोष वैवाहिक संघर्ष और दुर्व्यवहार को उत्प्रेरक कर सकता है।
मंगल दोष के उपाय
मंगल दोष के प्रभाव को कम करने के लिए नीचे दिए गए उपायो को अपनाए,
- मंगल दोष के प्रभाव को कम करने के लिए मंगल शांति पूजा करें करें।
- मंगलवार के दिन स्नान-ध्यान करने के बाद लाल वस्त्र धारण कर विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा-उपासना करें।
- प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखे और हनुमान जी के मंदिर मे जाए।
- मंगलवार के दिन सुंदरकाण्ड का पाठ करे और हनुमान चालीसा का भी पाठ करे।
- अपनी कुंडली मे मंगल ग्रह की शांति के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष या फिर मूंगा रत्न ज्योतिषी की सलाह से धारण करें तो शुभ रहेगा।
>> उज्जैन मंगलनाथ मंदिर मे मंगल दोष निवारण पूजा की पूरी जानकारी
मंगल दोष से छुटकारा पाने का रामबाण उपाय
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